भारत में डायरेक्ट सेलिंग के लिए सरकार के नियम
डायरेक्ट सेलिंग या फिर मल्टी लेवल मार्केटिंग एक ऐसा प्रोसेस है जिसमे कोई भी प्रोडक्ट बिना किसी रिटेल स्टोर के बेचा जाता है | और किसी प्रकार का स्टोर न होने की वजह से लोगो में थोडा सा डाउट आ जाता है कि प्रोडक्ट की क्वालिटी क्या होती होगी | इस तरह के बिज़नस को चलने के लिए सरकार के द्वारा, क़ानून के अंतर्गत कुछ नियम तय किये गए है |
1. अर्थ
डायरेक्ट सेलिंग से जुड़े हुए नियमो को जानने से पहले हम थोडा इसके बारे में जाने है कि डायरेक्ट सेलिंग के बारे में क्या क्या बाते कही जा रही है |
· डायरेक्ट सेलिंग ऐसा प्रोसेस जिसमे कोई भी प्रोडक्ट डायरेक्ट कस्टमर को बेचा जाता है इसमें किसी थर्ड पार्टी का रोल नहीं
होता है | जो चीज़े इसमें शामिल होती है वो है प्रोडक्ट को लेने के ऊपर पॉइंट्स और प्रोडक्ट को देने के ऊपर पॉइंट्स |
होता है | जो चीज़े इसमें शामिल होती है वो है प्रोडक्ट को लेने के ऊपर पॉइंट्स और प्रोडक्ट को देने के ऊपर पॉइंट्स |
· जिसे भी डायरेक्ट सेल्लिंग के बाज़ार में उतरना है, उसकी एक एक फर्म रजिस्टर्ड होना जरुरी है और ये फर्म पार्टनरशिप होती
है, इंडियन पार्टनरशिप एक्ट के तहत |
है, इंडियन पार्टनरशिप एक्ट के तहत |
· एक डायरेक्ट सेलर, डायरेक्ट सेलिंग कंपनी के प्रोसेस में भाग लेता है और प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए एक डायरेक्ट सेलर
की हस्ती के रूप में काम करता है |
की हस्ती के रूप में काम करता है |
· कोई व्यक्ति जो की एक डायरेक्ट सेलर से प्रोडक्ट खरीदता है, वह एक कांसुमर के रूप में गिना जाता है, अगर वो खुद भी सामान
बेचना चाहता है तो भी डायरेक्ट सेलर बन कर बेच सकता है |
बेचना चाहता है तो भी डायरेक्ट सेलर बन कर बेच सकता है |
· जो प्रोडक्ट इसमें परिभाषित किये जाते है वो, Sale of Goods Act and Section 3(26) of the General Clauses Act
1897 एक अंतर्गत ऐसे प्रोडक्ट जो मूव किये जा सके |
1897 एक अंतर्गत ऐसे प्रोडक्ट जो मूव किये जा सके |
· पेमेंट और पयौट्स डायरेक्ट सेलर को उसकी कंपनी के द्वारा दिए जाते है और ये पयौट्स उन दोनों के बीचे में हुए अग्रीमेंट
के अनुसार होते है |
के अनुसार होते है |
2. डायरेक्ट सेलिंग को अस्तित्व में लाने के लिए स्थिति
एक डायरेक्ट सेलिंग कंपनी के लिए अलग नियम होते है बजाय एक प्राइवेट फर्म से कम्पयेर करें तो |
· एक डायरेक्ट सेलिंग कंपनी का कम से कम एक बैंक खाता होना जरुरी है, उस देश में जहाँ पर कंपनी रजिस्टर्ड है |
· कंपनी के सरे दस्तावेज़ हस्ताक्षर होने आवश्यक है और एक ग्यापनपत्र दिया जाता चाहिए कि कंपनी किस प्रकार से
अपना काम करेगी और क्या क्या पारदर्शिता रहेगी |
अपना काम करेगी और क्या क्या पारदर्शिता रहेगी |
· एक कंपनी के द्वारा ये agree करना जरुरी है कि वो किसी भी डायरेक्ट सेलर को वो ही incentives देगी जब उसके द्वारा कंपनी
ज्वाइन करते वक़्त उसको बताये गए थे |
ज्वाइन करते वक़्त उसको बताये गए थे |
· कंपनी की एक वेबसाइट होना जरुरी है जिसमे सभी डायरेक्ट सेलर की इनफार्मेशन होना भी जरुरी है |
· consumers के लिए एक सेल नंबर भी होना जरुरी है जिसके द्वारा अगर कुछ समस्या उसको आती है तो वो कंपनी में कांटेक्ट
कर सकें |
कर सकें |
· कंपनी की वेबसाइट पर एक ऐसी जगह भी होना जरुरी है जहां पर consumers अपनी प्रोब्लेम्स को बता सकें |
3. वादे और अधिकार
· ये एक डायरेक्ट सेलिंग कंपनी की जिम्मेदारी बनती है कि, डायरेक्ट सेलर के द्वारा कंपनी ज्वाइन किये जाने पर उसको
सभी पेमेंट की रिसीप्ट और सिक्यूरिटी डाक्यूमेंट्स सही फॉर्मेट में दिए जाने चाहिए |
सभी पेमेंट की रिसीप्ट और सिक्यूरिटी डाक्यूमेंट्स सही फॉर्मेट में दिए जाने चाहिए |
· किसी भी तरह का काम शुरू करने से पहले कंपनी और सेलर के बीच एक अग्रीमेंट का होना जरुरी है |
· इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट के तहत एक एप्लिकेंट ज्वाइन होने के लिए उपयुक्त होना चाहिए |
· डायरेक्ट सेलर को माल बेचने का lisence देने से पहले हर डायरेक्ट सेलर को एक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जाना चाहिए |
4. निषेधाज्ञा
· जब incentives का वितरण किया जाता है तब कंपनी की सेल की वॉल्यूम का इससे कोई लेना-देना नहीं होता है |
· प्रोडक्ट के वितरण के समय घटिया प्रोडक्ट्स और जिन प्रोडक्ट्स की वैलिडिटी expire हो चुकी है ऐसे प्रोडक्ट्स को नज़रंदाज़ किया जाना चाहिए |
· डायरेक्ट सेलिंग कंपनी और डायरेक्ट सेलर किसी भी प्रकार के पैसे के हेर-फेर में लिप्त नहीं होने चाहिए |
5. साधरण नियम
· किसी भी प्रोडक्ट के पैकेट पर उसकी एमआरपी साफ़ तौर पर दिखाई देना जरुरी है |
· एक डायरेक्ट सेलर का अकाउंट अच्छे तरह से मैनेज होना चाहिए और इन्टरनेट पर दिखाई देना चाहिए |
· तय की गयी तारीखों के अनुसार डायरेक्ट सेलर को उसका incentive दिया जाना चाहिए |
· प्रोडक्ट्स जो कंपनी के द्वारा बेचे जायेंगे, उनके ऊपर किसी प्रकार की गारंटी और वारंटी होना जरुरी है |
6. सूचना की तत्परता
हर डायरेक्ट सेलर को एक फाइल मैनेज करनी पड़ेगी जिसमे सभी तरह के डॉक्यूमेंट की इनफार्मेशन होगी |
· सर्टिफिकेट्स जो कि
Registrar of Companies, MOA and MOM के द्वारा दिए गए हो |
· TIN, DIN of Directors, TAN, and PAN की फोटो कॉपी |
· Sales Tax, Service Tax, CST Registrations के सर्टिफिकेट्स |
· Sales Tax Returns की फोटो कॉपीस |
· Service Tax Returns की फोटो कॉपीस
· कंपनी की आईटी रिटर्न की फोटो कॉपीस
· डिस्ट्रीब्यूटर को दिए गए टीडीएस का स्टेटमेंट और चालान की कॉपीस
7. किस भी डायरेक्ट सेलर या फिर कांसुमेर के द्वारा की गयी कोम्पेल्न्ट्स की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए | जो भी कंप्लेंट उसके द्वारा दर्ज करवाई गयी है उसका निपटारा जल्दी ही किया जाना चाहिय |
8. ऊपर दिए गए सभी नियम व् शर्ते एक डायरेक्ट सेलर के द्वारा या फिर एक कांसुमेर के द्वारा मानी जायंगी | इनके विपरीत जाकर काम नहीं किया जा सकता है | नहीं तो कानूनी कारवाही भी हो सकती है फिर वो चाहे कंपनी के ऊपर भी हो सकती है और एक डायरेक्ट सेलर के ऊपर भी |
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